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History of Ram Temple – राम मंदिर का इतिहास 2023

svgJanuary 4, 2024BlogJanuaryIndian Festival

(History of Ram Temple) अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन समारोह 22 जनवरी 2024 को होना तय हुआ है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी इस समारोह में शरीक होंगे, ये खुलासा उन्होंने माइक्रो ब्लॉग्गिंग साइट X पर हाल ही में किया। इस भव्य उद्घाटन समारोह की तैयारियां 15 जनवरी से ही शुरू कर दी जाएँगी।

राम मंदिर का इतिहास (History of Ram Temple)

सनातन धर्म में श्रीराम को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का सातवां अवतार माना जाता है। वो दुनिया में व्यापक रूप से पूजे जाने वाले राजा हैं। प्राचीन महाकाव्य वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayana) में बताया गया है कि प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग में अयोध्या में हुआ था। अयोध्या में जहां पर उनका जन्म हुआ था उस जगह को राम जन्मभूमि (Ram janmbhoomi) के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में मुगल शासकों ने राम जन्मभूमि पर एक मस्जिद का निर्माण करवाया था। सनातन धर्म के अनुयाइयों का कहना है कि इस मस्जिद का निर्माण मुगलों ने राम जन्मभूमि पर मंदिर को खंडित करके करवाया था। हिंदुओं के इस दावे के बाद साल 1850 से इस मामले में विवाद होना शुरू हो गया था।

इसके बाद कई बार विश्व हिन्दू परिषद् ( Vishwa Hindu Parishad) ने विवादित जगह पर राम मंदिर बनाने की घोषणा की। इसके लिए 1990 के दशक में विश्व हिन्दू परिषद् ने “श्री राम” लिखी ईंटें और धनराशि एकत्रित की। एक समय पर सरकार ने  विश्व हिन्दू परिषद् को मंदिर बनाने की अनुमति दे दी थी। लेकिन कुछ कारणों की वजह से वहां मंदिर का निर्माण शुरू नहीं हो सका। इस बीच मंदिर को लेकर विवाद बढ़ता गया और साल 1992 में इस विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। साल 1992 में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया गया। इसके बाद साल 2019 में भारत के सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया कि विवादित जगह को सरकार एक ट्रस्ट को सौंप दे। जिसके बाद सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra Trust) का गठन करके वह जमीन ट्रस्ट को सौंप दी है। ट्रस्ट ने मार्च 2020 से राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया है। जिसके आगामी साल 2024 में पूरा होने की संभावना है।

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राम मंदिर के वास्तुकार (Architect of Ram Mandir)

सबसे पहले राम मदिर की डिजाइन साल 1988 में अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार के द्वारा तैयार की गई थी। सोमपुरा परिवार के लोग पिछले 15 पीढ़ियों से मंदिरों की डिजाइन बना रहे हैं और अब तक 100 से ज्यादा मंदिरों की डिजाइन बना चुके हैं। साल 2020 में जब राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो मंदिर के पुराने डिजाइन में कुछ बदलाव करके उसे स्वीकार कर लिया गया और उसी के अनुसार मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। राम मंदिर  235 फीट चौड़ा, 360 फीट लंबा और 161 फीट ऊंचा होगा। यह मंदिर नागर शैली में बनाया जा रहा है। नागर शैली भारतीय मंदिर निर्माण की वास्तुकला के प्रकारों में से एक है। इस मंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा और उनके दो बेटे निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा हैं।

वास्तुकारों ने मंदिर परिसर में प्रार्थना कक्ष, राम कथा कुंज, वैदिक पाठशाला, संत निवास, यति निवास, संग्रहालय और कैफेटेरिया को डिजाइन किया है। मंदिर के साथ इनका निर्माण भी किया जा रहा है। अयोध्या का राम मंदिर बेहद विशाल होगा। कहा जा रह है कि जब यह मंदिर पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा तो यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर होगा।

राम मंदिर शिलान्यास समारोह (Ram Mandir foundation stone laying ceremony)

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को दोपहर 12 बजे किया। इस दौरान आधारशिला के रूप में पीएम नरेंद्र मोदी ने चांदी की ईंट की स्थापना की। इसके पहले श्रीराम जन्मभूमि पर पंडितों ने तीन दिवसीय वैदिक अनुष्ठान किए। इस दौरान भगवान राम की पूजा की गई और मंदिर के शिलान्यास में सभी प्रमुख देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया। भारत के कई धार्मिक स्थानों से मिट्टी और पवित्र पानी लाया गया। इस दौरान पाकिस्तान की शारदा पीठ से भी मिट्टी लाई गई। साथ ही गंगा, सिन्धु, यमुना, सरस्वती और कावेरी नदी का जल अर्पित किया गया। शिलान्यास समारोह के उत्सव में अयोध्या में मंदिरों में 7 हजार से ज्यादा दिए जलाए गए।

अयोध्या में भगवान राम का मंदिर 2.7 एकड़ भूमि में बन रहा है। जिसमें 54,700 वर्गफुट भूमि शामिल है। राम का मंदिर का पूरा परिसर लगभग 70 एकड़ भूमि में तैयार हो रहा है। इस परिसर में इतनी जगह होगी कि लाखों भक्त एकसाथ मंदिर में भगवान राम के दर्शन कर सकेंगे। राम मंदिर का निर्माण कार्य श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के देखरेख में लार्सन एंड टूब्रो कंपनी कर रही है। इस मंदिर का निर्माण राजस्थान के बंसी पर्वत के बलुआ पत्थरों से हो रहा है।

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राम मंदिर का डिजाइन (Ram Mandir Design)

मंदिर का डिजाइन चंद्रकांत सोमपुरा (Chandrakant sompura) ने अपने बेटों के साथ बनाई है। चंद्रकांत सोमपुरा को इस मंदिर का डिजाइन बनाने के लिए साल 1992 में नियुक्त किया गया था। चंद्रकांत सोमपुरा ने बताया है कि नागर शैली में बनाए जा रहे इस मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व की ओर बनाया जाएगा जो गोपुरम शैली में होगा। यह द्वार दक्षिण के मंदिरों का प्रतिनिधित्व करेगा। मंदिर की दीवारों पर भगवान राम के जीवन को दर्शाने वाली कलाकृतियां प्रदर्शित होंगी।

मंदिर का आकार (Size of Temple)

मंदिर का आकार मौजूदा ढांचे से तीन गुना बड़ा होगा। मंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय आकार का होगा, जबकि संरचना की परिधि गोलाकार होगी। गर्भगृह का निर्माण मकराना मार्बल से किया जा रहा है। मंदिर 161 फीट ऊंचा होगा जिसमें पांच गुंबद और एक टावर होगा। मंदिर को तीन मंजिला बनाया जा रहा है। गर्भ गृह को ऐसे डिजाइन किया गया है ताकि सूर्य की किरणें सीधे रामलला पर पड़ें। रामलला भगवान श्रीराम के शिशु अवतार हैं। मंदिर में गर्भ गृह की तरह गृह मंडप पूरी तरह से ढंका होगा, जबकि कीर्तन मंडप, नृत्य मंडप, रंग मंडप और दो प्रार्थना मंडप खुले रहेंगे।

मंदिर में खिड़कियां और दरवाजे भी लगाए जाएंगे। मंदिर में लगने वाले सभी दरवाजे और खिड़कियां सागौन की लकड़ी से बनाए जाएंगे। यह बेहद मजबूत लकड़ी होती है जिसकी उम्र लगभग 100 साल के आस पास होती है। इन लकड़ियों को महाराष्ट्र के चंद्रपुर से मंगवाया गया है। लकड़ियों की पहली खेप अयोध्या पहुंच चुकी है। 26 से 30 जून के बीच अनुष्ठान के बाद मंदिर के लिए खिड़कियां और दरवाजे बनाने का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। खिड़की और दरवाजे कुशल कारीगरों के हाथों से बनाए जाएंगे।

70170426069496 Ram Temple

भगवान की मूर्ति (Idol of God)

मंदिर में भगवान की 2 मूर्तियां रखी जाएंगी। एक वास्तविक मूर्ति होगी जो 1949 में मिली थी और दशकों तक तंबू में रही है। दूसरी एक बड़ी मूर्ति होगी जिसका निर्माण कार्य चल रहा है। इस मूर्ति के निर्माण के लिए नेपाल से शालिग्राम की दो शिलाएं अयोध्या लाई गई थी। ये शिलाएं नेपाल के मुस्तांग जिले में बह रही काली गण्डकी नदी के तट से लाई गई थी। कहा जा रहा है कि शालिग्राम की यह शिलाएं छह करोड़ साल पुरानी हैं। इन शिलाओं का वजन 26 टन और 14 टन है।

काली गण्डकी नदी के तट पर पाई जाने वाले शिलाएं प्रसिद्ध हैं। इन्हें शालिग्राम कहा जाता है। सनातन धर्म में इन शिलाओं को भगवान विष्णु के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया जाता है और हर घर में इनकी पूजा की जाती है। श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने इन शिलाओं से भगवान श्रीराम मूर्ति बनाने का आग्रह किया था। जिसे ट्रस्ट और भारत के लोगों द्वारा स्वीकार कर लिया गया है। चंपत राय ने हाल ही में मीडिया को बताया है कि मंदिर में भगवान राम की पांच वर्ष की आयु के स्वरूप वाली मूर्ति की स्थापना की जाएगी। इस मूर्ति का स्वरूप बाल्मीकि रामायण से लिया गया है। उन्होंने कहा कि सितंबर तक मंदिर के गर्भगृह का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। साथ ही अक्टूबर तक रामलला की मूर्ति बनाकर तैयार कर ली जाएगी।

Ram Temple

मंदिर का घंटा (Temple Bell)

मंदिर में 2100 किलो का एक विशाल घंटा लगाया जाएगा। जो 6 फुट ऊंचा और 5 फुट चौड़ा होगा। इसके अलावा मंदिर में विभिन्न आकार के 10 छोटे घंटे भी लगाए जाएंगे। जिनका वजन 500, 250, 100 किलो होगा। घंटों का निर्माण पीतल के साथ अन्य धातुओं को मिलाकर किया जाएगा। इन घंटों का निर्माण  जलेसर, एटा की फर्म सावित्री ट्रेडर्स कर रही है। एटा का जलेसर पूरी दुनिया मे घुंघरू और घंटी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। यहां के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी इन चीजों का निर्माण कर रहे हैं। देश के कई  मंदिरों में जलेसर के बने हुए घंटे लगे हैं।

मंदिर को मिल रहा है दान

अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनाने के लिए श्रद्धालु लगातार दान कर रहे हैं। रामलला के मंदिर को हर माह करोड़ो रुपये दान में मिल रहे हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने बताया कि इन दिनों रामलला के बैंक खाते में हर माह एक से डेढ़ करोड़ रुपये दान के रूप में आ रहे हैं जबकि दानपात्र में 60 से 70 लाख रुपये प्रति दिन भक्तों के द्वारा दिए जा रहे है। जैसे जैसे मंदिर निर्माण का कार्य पूर्ण होता जाएगा, दान में बढ़ोत्तरी होती जाएगी। वर्तमान में रामलला के दर्शन करने के लिए 50 हजार श्रद्धालु हर रोज आते हैं। मंदिर के निर्माण पूरा हो जाने के बाद यहां पर 1 लाख श्रद्धालु प्रतिदिन आने की संभावना है।

अयोध्या राम मंदिरटाइमलाइन (Ayodhya Ram Mandir: Timeline)

1528-1529: मुगल बादशाह बाबर ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया।

1850: जमीन को लेकर सांप्रदायिक हिंसा की शुरुआत हुई।

1949: मस्जिद के अंदर राम की मूर्ति मिली, सांप्रदायिक तनाव तेज हुआ।

1950: मूर्ति पूजा की अनुमति के लिए फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो मुकदमे दायर किए गए।

1961: यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मूर्ति को हटाने की मांग की।

1986: जिला अदालत ने हिंदू उपासकों के लिए स्थल खोला।

1992: 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को गिराया गया।

2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।

2011: उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाई।

2016: सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, राम मंदिर के निर्माण की मांग की।

2019: सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि थी, पूरी 2.77 एकड़ विवादित भूमि ट्रस्ट को सौंप दी और सरकार को वैकल्पिक स्थल के रूप में सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया।

2020: पीएम मोदी ने भूमि पूजन किया और शिलान्यास किया।

अयोध्या में हो रहा है चहुमुखी विकास

भगवान श्रीराम के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, इसको ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश की सरकार ने कमर कस ली है। अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या में 32 हजार करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया है। इसके तहत अयोध्या को एक सुंदरतम नगरी के रूप में विकसित किया जा रहा है। साथ ही अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाया जा रह अहै ताकि यात्रियों को आने में परेशानी न हो। इसके साथ ही अयोध्या के रेलवे स्टेशन को आधुनिक स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है। इनके अलावा मठ-मदिरों का सुंदरीकरण किया जा रहा है और शहर में फोर लेन और सिक्स लेन मार्गों का निर्माण किया जा रहा है।

22 जनवरी के बाद ही बनाएं अयोध्या यात्रा की योजना: मंदिर ट्रस्ट

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण कार्य की देखरेख करने वाले ट्रस्ट ने 3 नवंबर को एक appeal जारी की, जिसमें भक्तों से अपने घरों से मंदिर के भव्य उद्घाटन का जश्न मनाने का अनुरोध किया गया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में, मंदिर का उद्घाटन समारोह 22 जनवरी 2024 को आयोजित किया जाएगा। अयोध्या में श्री राम मंदिर का अभिषेक (प्राण प्रतिष्ठा) समारोह उस दिन सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच आयोजित किया जाएगा। राम मंदिर उदघाटन के दिन उत्तर प्रदेश के इस छोटे से शहर में बहुत अधिक भीड़ होने की उम्मीद है, जहां बुनियादी ढांचा अभी भी विकास के चरण में है।

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